मंगलवार, 14 जून 2011

राम झरना की सैर

एक गीत सुना था 'जाना था जापान पहुंच गए चीन, समझ गए ना' कुछ ऐसा भी हमारे साथ भी घटित होता है, हम गए थे पारीवारिक कार्य से खरसिया और पहुंच गए राम झरना। सक्ती, खरसिया होते हुए रायगढ बहुत बार जाना हुआ है कार से लेकिन रास्ते में सिंघनपुर की गुफ़ाएं भी हैं। इसका कभी भान नहीं रहा। खरसिया और रायगढ के मध्य में मांड नदी के पार सिंघनपुर आता है। सामने एक विशाल पर्वत दिखाई देता है और उसी में हैं सिंघनपुर की गुफ़ाएं जहाँ आदिम शैल चित्र हैं। जिसकी खोज एन्डरसन द्वारा 1910 ईं के लगभग की गयी थी।जिसकी तिथि लगभग ईसापूर्व ३० हज़ार वर्ष निर्धारित की है।इंडिया पेंटिग्स १९१८ में तथा इन्साइक्लोपिडिया ब्रिटेनिका के १३वें अंक में रायगढ़ जिले के सिंघनपुर के शैलचित्रों का प्रकाशन पहली बार हुआ था

कुछ वर्षों पूर्व इन गुफ़ाओं में शैलचित्रों को देखने गए एक डॉक्टर सैलानी की मृत्यु मधुमक्खी के हमले से हुई थी। तब सिंघनपुर एक बार सुर्खियों में आया था। इस जगह को देखने की तमन्ना मेरी वर्षों से थी जो इस यात्रा में भी पूरी नहीं हुई। खरसिया पहुंचने पर हमारे भतीजी जंवाई (आनंद बाबु) ने कहा कि वापसी के लिए ट्रेन आने में विलंब हैं तब तक नजदीक ही राम झरना देख कर आते हैं अच्छी जगह। इस तरह कहीं घूमने के आग्रह को मैं कभी टाल नहीं सकता। यदि मुझे किसी अन्य आवश्यक कार्य को भी छोड़ना पड़े तो सैर के लिए उसे भी त्याग सकता हूँ। मैने तुरंत हां कर दी और कार से भाई साहब (के सी शर्मा) के साथ चल पड़े राम-झरना की ओर।

खरसिया और रायगढ के बीच में मांड नदी पड़ती है। नजदीकि रेल्वे स्टेशन भूपदेवपुर है। नहर पाली के पास जिंदल ने मोनेट नाम से फ़ैक्टरी लगा रखी है। पहाड़ियों के बीच स्पंज आयरन के अन्य कारखाने भी लगे हैं। गाड़ी में चलते-चलते मैने राम झरना के ऐतिहासिक महत्व के विषय में जानने की चेष्टा की। लेकिन कुछ खास जानकारी प्राप्त नहीं हुई। अब सोचा कि वहीं चल कर पता करेंगे। सामने पहाड़ी मोड़ पर पहुंचे तो सिंघनपुर का यात्री प्रतीक्षालय नजर आया। अब मन में इच्छा हुई कि पहले सिंघनपुर ही चला जाए लेकिन आनंद बाबु ने बताया कि वहां जाने के लिए बहुत समय लगेगा। इसलिए सिंघनपुर जाने का इरादा त्याग दें तो अच्छा ही है और 4 बज रहे हैं, इतने कम समय में सिंघनपुर के से वापस नहीं सकते। हमने कहा फ़िर देखा जाएगा उसे।

थोड़ी ही देर बाद हम राम झरना के मुख्य द्वार पर थे। सड़क के किनारे से जंगल के बीच जाने लिए सुंदर दरवाजा बनाया गया है। साथ ही दो मंदिर भी नजर आए। एक मंदिर गेंरु से पुता हुआ हनुमान जी का था। तभी वहां पर बहुत सारे लाल मुंह के बंद दिखाई दिए। उसके साथ ही चेतावनी देता हुआ बोर्ड भी। जिस पर लिखा हुआ था कि बंदर को कोई भी खाने की वस्तु दें अन्यथा वे आपको घायल भी कर सकते हैं। राम झरना के मुख्यद्वार पर टिकिट खिड़की है। जहां पर प्रवेश की दरें लिखी हुई हैं। एक कोने में बने टिकिट घर में फ़ारेस्ट के कर्मचारी लखपति पटेल बैठ कर टिकिट काट रहे हैं। लेकिन हमारे से उन्होने 30 रुपए लिए और टिकिट नहीं दी और द्वार उन्मुक्त कर दिया। भीतर पहुंचने पर भी विभिन्न तरह के सूचना फ़लक लगाए हुए थे। जिसमें जानकारियाँ और आदेश लिखे हुए थे।

भीतर वन परिक्षेत्र में एक जगह हमें सिंघनपुर जाने के पहाड़ी रास्ते का इशारा करते हुए बोर्ड दिखाई दिया। लेकिन मन मसोस कर ही रह जाना पड़ा। अगर सुबह पता चल जाता तो हम सिंघनपुर की गुफ़ाओं के चित्र आप तक अवश्य पहुंचाते। आगे चलने पर रेस्ट हाऊस दिखा जहाँ 250 रुपए में रुम बुक किया जाता है। रुम बुक कराने के लिए वन विभाग के रेंजर से सम्पर्क करना पड़ेगा। फ़िर एक जगह चीतल होने की जानकारी मिली। कच्चे रास्ते के किनारे लोहे की बाड़ लगा रखी थी। बाड़ के भीतर हमें एक भी चीतल दिखाई नहीं दिया।  

आनंद बाबु ने बताया कि पहले बहुत सारे थे। लगता है कि धीरे-धीरे उन्हे उदरस्थ कर लिया गया। जंगल में कौन देख रहा है कि कितने चीतल गायब हो गए।स्वीमिंग टैंक बनाया हुआ है। स्वीमिंग पुल को तरण पुष्कर का नाम दिया गया है। यहाँ जल किलोल करने का चार्ज 5 रुपया घंटा है साथ में ठन्डे पानी का आनंद मुफ़्त में लिया जा सकता है। गर्मी के मौसम के लिए ठीक है। सर्दी के मौसम में तो 5 रुपए में कुल्फ़ी जम जाएगी। एकाध किलो मीटर चलने पर एक नाका फ़िर दिखाई दिया। एक खाखी वर्दीधारी गार्ड ने गाड़ी देखकर नाका खोला। हम राम झरना के निकट पहुंचे तो वहां बहुत सारी गाड़ियाँ खड़ी दिखाई दे रही थी। अर्थात लोग पिकनिक रत थे। इस जंगल में एक बड़े तालाब जैसा भी है जिसे लोग झील कहते हैं। आनंद बाबु ने बताया कि इस झील में एक बार आस-पास की 7 लड़कियाँ एक ही दिन डूब गयी थी। तब से लोग इस झील के किनारे कम ही जाते हैं।

राम झरना के विषय में किंवदन्ती है कि-"जब भगवान राम इधर आए तो सीता जी को प्यास लगी। सीता जी ने राम जी से कहा कि उन्हे प्यास लग रही है। तो राम जी ने इसी स्थान पर धरती में तीर मारा और जल धारा फ़ूट पड़ी सीता जी ने यहाँ अपनी प्यास बुझाई। तब से यहाँ पहाड़ी से पानी का झरना निकल रहा है।" इस तरह जनमानस के आस्था के केन्द्र बना हुआ है राम झरना। लोग यहाँ पिकनिक मनाने आते हैं। जल का प्राकृतिक स्रोत राम झरना के नाम से प्रवाहित हो रहा है। जो यहाँ की भूमि को भी सिंचित कर रहा है। वन्य प्राणियों को भी जल उपलब्ध करवा रहा है।  

इस झरने पास बंदर बहुत ज्यादा हैं लगभग सैंकड़ों बंदर तो मैने देखे हैं जो अपनी करतूतों से सैलानियों को भयभीत कर रहे थे।वन विभाग ने तो सैलानियों के देखने के लिए कई प्वाईंट चिन्हित कर रखे हैं। आप दिन भर का समय यहाँ वन में आराम से गुजार सकते हैं यह स्थान एक पिकनिक स्पॉट के रुप में स्थापित हो चुका है। शुरुवाती प्रवेश द्वार पर ईको पार्क राम झरना का बोर्ड लगा है। अंदर आकर देखा तो लोग झरने के पास ही गंदगी फ़ैला रहे हैं। वहीं खाना बना कर पत्तल इत्यादि फ़ेंक रहे हैं। पालीथिन जगह-जगह पड़ी हैं। कूड़ा-करकट ही सब तरफ़ फ़ैला हुआ है। समझदार कहाने वाले ही अधिक बेवकूफ़ी करते हैं।

भीतर एक व्यक्ति ने पान की दुकान लगा रखी है।  जिससे गुटखा के रैपर यत्र-तत्र फ़ैले हुए हैं। सुंदर प्राकृतिक रमणीय स्थान के चित्र को विकृत कर रहे थे। बोर्ड भर लगा देने से यह ईको पार्क नहीं बनने वाला इसके लिए आने वाले सैलानियों को अपनी जिम्मेदारी समझ कर इसे साफ़ एवं स्वच्छ रखने का प्रयास करना पड़ेगा।समयाभाव में हम सिंघनपुर नहीं जा सके। लेकिन हमारा प्रयास रहेगा कि आगामी यात्रा में सिंघनपुर अवश्य जाएगें। मुझे वहां पर एक लम्बी गुफ़ा के विषय में भी पता चला है जिसके ओर-छोर का पता नहीं है। कई लोग प्रयास कर चुके हैं भीतर जाकर लेकिन नाकाम रहे हैं। कभी वहाँ भी प्रकाश की व्यवस्था करके भीतर जाएगें नजारे देखने लिए। इस तरह हमने अल्प समय में राम-झरना देखने का आनंद लिया।
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9 टिप्‍पणियां:

  1. Janmjay Sinha फ़ेसबुक पे--
    बचपन मे यहा मैं कइ बार गया हुं,हाल ही में एक बार, अब वो मनोरम नजारा देखने नही मीलता,अपनी यात्रा व्रतांत मे आपने सरकारी व्‍सवस्‍थाओं की पोल तो खोला ही है साथ ही बढि‍या व्रतांत भी कि‍या है पूरानी यादें ताजा कर दि‍या आपने

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  2. बढ़िया रही यह सैर .. जनता कोई भी मनोरम स्थान को स्वच्छ नहीं रहने देती ..

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  3. badiyaa sear janata saphai ka dhyaan rakhne lage.sarkari tantra thik se kaam karane lage to hamara desh sach main mahan naa ho jaaye.saarthak yaatra vivran,badhaai.



    please visit my blog.thanks.

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  4. राम झरना बड़ी सुन्दर जगह है. वहीँ पास पहली बार बिलासपुर जलाशय नाम पढ़ चौंक गया था. सिंघनपुर के शैल चित्रों की जानकारी भी नहों थी.

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  5. राम झरने की सैर हमने भी कर ली।

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  6. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच{16-6-2011}

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  7. ऐसी यात्रा, जो गलती से हो मजेदार भी होती है।

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