बरसों का सपना पूरा होने जा रहा था। हमें कामाख्या मंदिर के दर्शन होने जा रहे थे। हमारे छत्तीसगढ़ में इसे कौरु नगर कहा जाता है और यहां तंत्र सीखने वाले जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां मंत्र-तंत्र से तांत्रिक आदमी को पशु पक्षी बनाकर अपने घर में रख लेते हैं। जब उससे काम लेना होता है तो उसे आदमी बना देते हैं, जब काम खत्म हो जाता है तो पुन: पशु पक्षी बना दिया जाता है। तंत्र का ज्ञान पूर्ण होने पर उसे आदमी बनाकर घर जाने दिया जाता है। मुझे कामाख्या आने से पहले हमारे गांव के कुछ लोगों ने इस विषय में जानकारी दी थी। मैने कहा था कि वहां जाकर ही देखेंगे।
कामाख्या मंदिर गोहाटी से 12 किलोमीटर पर स्थित है। पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर को उग्र तंत्र पीठ माना जाता है। इसके विषय में कई किंवदंतियां प्रचलित हैं। यहां प्रतिवर्ष ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सौर आषाढ माह के मृगशिरा नक्षत्र के तृतीय चरण बीत जाने पर चतुर्थ चरण में आद्रापाद के मध्य पृथ्वी ॠतुवती होने पर अम्बुवासी मेला भरता है यह मान्यता है कि भगवान विष्णु के चक्र से खंडित होने पर सती की योनी नीलांचल पहाड़ पर गिरी थी 51 शक्ति पीठों में कामाख्या महापीठ को सर्व श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि यहां पर योनी की पूजा होती है। यही वजह है कि कामाख्या मंदिर के गर्भ गृह में फ़ोटो लेने की मनाही है एवं तीन दिन मंदिर में प्रवेश करने की भी मनाही होती है। चौथे दिन मंदिर का पट खुलता है तथा विशेष पूजा के बाद भक्तों को दर्शन करने का मौका मिलता है।
इन चार दिनों के अंदर असम में कोई भी शुभकार्य नहीं होता, साधु एव विधवाएं अग्नि को नहीं छूते और आग में पका भोजन नहीं करते, पट खुलने के बाद श्रद्धालु मां पर चढाए गए लाल कपड़े के टुकड़े को पाकर धन्य हो जाते हैं। मान्यता यह भी है कि रतिपति कामदेव शिव की क्रोधाग्नि में यहीं पर भस्म हुए थे। कामदेव ने अपना पूर्व रुप भी यहीं पर प्राप्त किया था इसलिए इस क्षेत्र का नाम कामरुप भी पड़ा। कामाख्या मंदिर में दर्शन करने के बाद ब्रह्मपुत्र नदी के बीच में उमानंद मंदिर जाना भी जरुरी समझा जाता है। इसका जीर्णोद्वार राजा नर नारायण ने करवाया था।
अहोम राजाओं ने मंदिर की पूजा के लिए कन्नौज एवं मिथिला से ब्राह्मणों को लाकर यहां बसाया था। आज वे असम की संस्कृति में इतने रच बस गए हैं कि उनके और असमियों में कोई अंतर प्रतीत नहीं होता.
कामाख्या मंदिर में दर्शनार्थियों के लिए तीन प्रकार की टिकिट मिलती है। साधारण 150, वीआईपी 500, एवं वीवीआईपी 1000 की। हमने देखा कि लाईन छोटी है इसलिए 150 वाली टिकिट कटाई और लाईन में लग गए। जहां से हम लाईन में लगे थे उसके बगल में बलि गृह है, जहां भक्त अपनी श्रद्धानुसार बकरे और भैंसे की बलि देते हैं। मैने देखा कि वहां पर ताजा-ताज़ा बलि दी गयी थी। मक्खियां झूम रही थी। हमारी लाईन भी सरकती हुई गर्भ गृह तक पहुंच गयी। गर्भ गृह तल से लगभग 10 फ़िट नीचे है। जहां निरंतर पानी बहते रहता है।
जब हम गर्भ गृह के सामने स्थापित विग्रह के समीप पहुंचे तो एक घटना घट गयी। किसी जोर से ओSSSम ध्वनि का उच्चारण किया, मैने पलट कर देखा तो मेरे मुझे एक नाटी सी लड़की दिखाई पड़ी। जिसने हाथ और गले में बहुत सारे गंडे डोरे बांध रखे थे। लोवर और टी शर्ट पहन रखी थी सिंदूर से मुंह लाल कर रखा था। उसके साथ में एक लम्बे बालों वाला लड़का था जिसने बालों में हेयर बेन्ड लगा रखा था। मैने डॉक्टर से कहा कि- “यह कोई नयी जादू सीखने वाली सीखाड़ी लगती है।“ तभी पंडे ने सुनकर कहा कि-“यह एकता कपूर है, महाभारत सीरियल की कामयाबी के लिए पूजा करने आई है।“ तो मैने डॉक्टर से कहा कि-“एकाध फ़ोटो ही खींचवा लेते हैं।“ तो डॉक्टर ने कहा कि-“इसके साथ क्या फ़ोटो खिंचवाना जिसने लोगों के घर बरबाद कर दिए।“ फ़िर मैं उससे सहमत होकर चुप हो गया।
हम गर्भ गृह में पहुंच चुके थे अंदर सिर्फ़ एक दीये का प्रकाश था, कुछ सूझ नहीं रहा था। काफ़ी अंधेरा था। पड़ों की लाईन लगी थी सब अपने अपने जजमान को पूजा करवा रहे थे। सबकी अलहदा दुकान सजी थी। हमने पूजा की और बाहर आ गए। कुछ देर मंदिर प्रांगण में बैठे, वहीं पार्श्व में बलि प्रकरण चल रहा था। भैंसे और बकरे काटे जा रहे थे। मुलायम सिंग की सरकार को बचाने के लिए समाजवादी पार्टी के एक विधायक समरीते ने 307 बकरे एवं 15 भैंसों की बलि दिलाई थी। सोचता हूँ कितना भयानक दृश्य रहा होगा। मंदिर पशुओं की कत्लगाह में बदल गया होगा और इतना मांस कौन खाएगा? चारों तरफ़ मक्खियां भिन-भिना रही थी। क्या कहा जा सकता है जब लोगों ने बलि को धर्म और संस्कृति से जोड़ रखा है। तभी मंदिर की प्रसाद शाला खुली जहां मांस भात का प्रसाद मिल रहा था। लोग दौड़ पड़े लेने के लिए, हम बैठे देखते रहे।हमने मंदिए के ट्रस्ट में दान किया तो हमें लाल कपड़े का एक छोटा टुकड़ा दिया गया, जिसकी मान्यता कामख्या के प्रसाद के रुप में है, हमारे पहुंचने से चार दिन पहले ही अम्बुवासी मेला सम्पन्न हो चुका था। हमने प्रसाद को रख लिया और ट्रस्ट से दान की रसीद ली। वापस गोहाटी के लिए चल पड़े।
आपका यह ब्लॉग बहुत सुंदर है,यहां आकर यात्राओं के विषय मे अच्छी जानकारी मिली।
जवाब देंहटाएंयात्रा का ब्लाग चलाना कोई सरल काम नहीं है। इसके लिए बहुत रुपया पैसा और समय खर्च करना पड़ता है।
जवाब देंहटाएंएकता कपूर तंत्र मंत्र में बहुत विश्वास करती है,आपके वर्णन से ऐसा प्रतीत होता है। डॉक्टर ने सही कहा कि"इसने लोगों के घर बर्बाद कर दिए,अपने धारावाहिकों के द्वारा। शहरी महिलाओं को तो आलसी बना कर रख दिया। रोज मिंया बीबी में खटखट हो जाती है।
जवाब देंहटाएं"इसके साथ क्या फ़ोटो खिंचवाना जिसने लोगों के घर बरबाद कर दिए" जीवन का तथ कहीं से भी प्राप्त हो सकता हैं.
जवाब देंहटाएंसुन्दर कामाख्या यात्रा वृत्तांत. आभार.
जवाब देंहटाएंबेहद रोचक जान्कारी दी आपने, हमको भी कामाख्या मंदिर के दर्शन के समय की यादे ताजा हो आई.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अपने रोचक सफर को जारी रखिए
जवाब देंहटाएंआभार आपका
अत्यंत सुखद. कौंरू नगर के अलावा एक अन्य शब्द-युग्म लगभग पूरे आर्यावर्त के लोक में प्रचलित है- कवंरू-कमच्छा यानि कामरूप-कामाख्या. कौंरू नगर तो आपने बताया ही, कमच्छा, काशी के एक प्रमुख मुहल्ले का भी नाम है और यहां भी कामाख्या देवी का मंदिर है. मान्यता है कि 51 या 52 शक्तिपीठों में से एक, यहां सती की योनि गिरी थी, इसीलिए यह गुह्य विद्याओं का केन्द्र बना.
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा कामख्या देवी मंदिर का यात्रा वृतांत, एकता कपूर के दर्शन..:)
जवाब देंहटाएंहाँ, बलि की बात सुन कर अफसोस हुआ मगर आस्था के आगे क्या सोच और क्या समझाईश!
हमे तो अब तक कामाख्या देवी के दर्शनों का अवसर नही मिल पाया पर आपके यात्रा वृतांत से बहुत कुतुहल जागा है देखे कब मौका लगता है ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर यात्रा वृत्तांत.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना .
जवाब देंहटाएंलाजवाब जगह है, यह! मुझे तो एक बार ही जाने का मौका मिला है, भीड़ थी, लिहाजा 500 का टिकिट खरीदा था, मगर अंदर जाकर श्रद्दा से सिर झुक जाता है।
जवाब देंहटाएंआप बहुत खुशकिस्मत हैं।
एक बार मैं भी जा चुका हूँ कामाख्या के मंदिर में...उस समय वहाँ पर प्रसिद्द था कि जो एक बार वहाँ जाता है ..उसे पुन: लौट कर ज़रूर आना पड़ता है...
जवाब देंहटाएंदेखें...ये बात सच होती है या नहीं...
बस 3 जनवरी को निकल रहा हूं मां के दर्शन को, पहली बार है, दर्शन का यह वृतांत जरुर काम आयेगा धन्यवाद आपको, ऐसे ही यात्रा वृतांत लिखते रहे
जवाब देंहटाएंबस 3 जनवरी को निकल रहा हूं मां के दर्शन को, पहली बार है, दर्शन का यह वृतांत जरुर काम आयेगा धन्यवाद आपको, ऐसे ही यात्रा वृतांत लिखते रहे
जवाब देंहटाएंbahut hi sunder yatra bratant he. bahut hi sunder kary kar rahe he bahut bahut aabhar.
जवाब देंहटाएं