हमारी मंजिल 170 किलोमीटर दूर थी। रास्ते में काफ़ी हरियाली थी। 1 बजे हम काक द्वीप पहुंचे। यहां गंगा नदी अपना डेल्टा बनाती है, जिसे सुंदर वन कहते हैं, सुंदर वन में अभी शेर हैं,यदा कदा मछुवारों पर इनके हमले की खबर आते रहती है। ये शेर पानी में शिकार करने के अभ्यस्त हो गए हैं, पानी में चुपके से तैर कर नाव पर हमला बोल देते हैं। सुंदर वन में मधुमक्खी के छत्ते भी बहुत है, सैकड़ों परिवारों का रोजगार इन छत्तों से शहद निकालने से चलता है। ये विशेष जाति के लोग शहद ही निकालते हैं अपनी जान जोखिम में डालकर क्योंकि कभी भी शेर के हमले का शिकार हो सकते हैं। एक खासियत और है ये कभी मधुमक्खी के छत्ते को जड़ से खत्म नहीं करते, जितने हिस्से में शहद है उसे ही तेज धार हंसिए से काट लेते हैं।


समुद्र के किनारे पूजा का सामान बेचने वालों की दुकाने हैं। वे बिछाने के लिए पालिथिन भी देते हैं जिसपर आप सामान और कपड़े भी रख सकते हैं, लेकिन कपड़ों का ध्यान रखना जरुरी है, नहीं तो अंडरवियर में ही कलकत्ता वापस आना पड़ेगा। यहां नारियल पानी मिलता है, काफ़ी बड़ा नारियल था मैं तो एक भी पूरा नहीं पी सका। हमने लगभग डेढ घंटे समुद्र में अठखेलियाँ की, जम कर स्नान किया। उपर का पानी गरम था और अंदर का पानी ठंडा। दूर-दूर तक समुद्र ही समुद्र अपनी विशालता और महानता प्रदर्शित कर रहा था। एक पंडा महाराज पहुंच गए,उनसे हमने समुद्र पूजा कराई।

हमें स्टीमर टाईम पर मिल गया। इतना समय भी मिल गया कि हम चाय पी सकें। वहीं किनारे पर बने हुए एक होटल में चाय पी। स्टीमर चल पड़ा। उस पार हमारी टैक्सी इंतजार कर रही थी। आज रथ यात्रा का दिन था याने रथ दूज, यहां रथ यात्रा का त्योहार जोर शोर से मनाया जाता है। रास्ते में जगह-जगह रथ यात्रा के कारण सड़कें जाम मिली। सारी भीड़ बाजे-गाजे के साथ सड़क पर ही थी। हम रात 9 बजे कलकत्ता पहुंचे। युएसए ने कहा कि अब के सी दास के होटल में मिठाई खाएंगे, यह कलकत्ता का मशहूर होटल हैं जहां मिठाइयाँ बनते ही बिक जाती हैं। मेरा मन नहीं था मिठाई खाने का, इन्होने सब तरह की मिठाइयाँ चखी। मैने सिर्फ़ संदेश का स्वाद लिया। फ़िर पहुंच गए अपने रिटायरिंग रुम में बिस्तर पर लोटने के लिए।
गंगा सागर के विषय में पौराणिक जानकारी हेतु यहां क्लिक करें।
फ़ोटो गुगल से साभार
ललित शर्मा

यूं ही अपनी सक्रियता बनाएं रखें
जवाब देंहटाएंगंगाजी के बारे में आपने अच्छी जानकारी दी
बेहतर पोस्ट
आपके यात्रा संस्मरण पढने का आनंद ही कुछ और है।
जवाब देंहटाएंयात्रा के साथ अपने आस पास की सभी जानकारियाँ समेट लेते हैं।
मजा आ रहा है।
दर वन में अभी शेर हैं,यदा कदा मछुवारों पर इनके हमले की खबर आते रहती है। ये शेर पानी में शिकार करने के अभ्यस्त हो गए हैं, पानी में चुपके से तैर कर नाव पर हमला बोल देते हैं
जवाब देंहटाएंशेर के हमलों के विषय में अच्छी जानकारी है।
सुंदर वन में मधुमक्खी के छत्ते भी बहुत है, सैकड़ों परिवारों का रोजगार इन छत्तों से शहद निकालने से चलता है। ये विशेष जाति के लोग शहद ही निकालते हैं।
जवाब देंहटाएंशहद निकालना भी जान जोखिम का काम है। जंगलों पर ही आधी आबादी से ज्यादा का भोजन निर्भर है।
गर के किनारे पर पहुंचे तो ऐसा लगा कि जैसे मॉरिसश का कोई सागर तट है।
जवाब देंहटाएंभारत में और भी सुंदर सागर तट हैं लेकिन सरकार उनका पर्यटन हेतु प्रचार-प्रसार नहीं कर रही है। अगर ये तट भी पर्यटन के लिए खोल दिये जांए तो पर्यटन राजस्व में वृद्धि हो सकती है।
”सारे तीरथ बार बार-गंगा सागर एक बार”
जवाब देंहटाएंयह हमने भी सुना है लेकिन इसके विषय में जानकारी पहली बार मिली है। आपकी यात्रा हमारे लिए जानकारियों के हिसाब से लाभदायक है।
हमने मंदिर में पूजा करवाई और प्रसाद लिया। गांव में बांटना जो था। तीर्थ यात्रा का प्रसाद इष्ट मित्रों के यहां पहुंचाने की परम्परा है।
जवाब देंहटाएंतीर्थ यात्रा से आने के बाद पौराणिक परम्पराओं का निर्वहन करना भी जरुरी हो जाता है।
एक बात तो कहना भूल ही गया था-पोस्ट लगाने के बाद मुझे एक ई मेल अवश्य कर दें। मैने आपको मेल कर दिया है।
जवाब देंहटाएंवाह ललित जी आपके इस ब्लॉग को पढ़कर तो बड़ा मज़ा आ रहा है
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया यात्रा संस्मरण हैं आपने तो पूरा भारत ही देख डाला शायद
अब नियमित रूप से पढ़ूँगा इस ब्लॉग को
एक जगह इटली का जिक्र आया है संभवत: आपका आशय इडली से होगा