बुधवार, 16 जून 2010

मेरा नया ब्लाग-चलती का नाम गाड़ी

मैने बहुत यात्राएं की हैं, लाखों किलोमीटर की यात्राएं, इन यात्राओं में प्रत्येक यात्रा एक अलग अनुभव रहा है। इन यात्राओं से हमे कुछ न कुछ जीवन नया सीखने को मिलता है। यात्राओं का आनंद तब और भी बढ जाता है जब आप ऐसे स्थान पर पहुंच जाएं जहां आपको जानने वाला कोई न हो। बहुत सारी आशंकाए आपके मन में उमड़ती घुमड़ती हों कि कब क्या दुर्घटना घट जाए आपके साथ। इन दुर्घटनाओं का पता नहीं होता। लेकिन फ़िर भी हम यात्राओं पर जाते हैं। समुद्र का नीला जल, उतुन्ग पर्वत आपको अपनी ओर बुलाते हैं, अनायास ही आपको खींचते हैं। इन यात्राओं में मिले हुए अजनबी आपके जीवन भर के मित्र बन जाते हैं। जीवन के सफ़र के साथ यह यात्राएं चलते रहती हैं।

मैने इन यात्राओं से बहुत कुछ सीखा है। मेरे मित्रों ने विशेष गुजारिश की है कि आप यात्रा का एक ब्लाग अलग बना कर उस पर सिर्फ़ अपने यात्रा संस्मरण ही लिखें। जिससे उन्हे भी बहुत कुछ सीखने मिलेगा तथा जगह की दु्श्वारियों के विषय में पता चलेगा। इसलिए मित्रों मैने नया ब्लाग चलती का नाम गाड़ी बनाया है। इस ब्लाग पर मैं अपने यात्रा संस्मरण ही लिखुंगा जोकि मेरी डायरी एवं मस्तिष्क की स्मृतियों में दर्ज हैं। आशा है कि आपको अवश्य ही पसंद आएगा।
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11 टिप्‍पणियां:

  1. मुझे यात्रा वृतांत बहुत पसंद है. मैं आपके पहले पोस्ट के प्रतीक्षा करूंगा.

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  2. चलती का नाम गाड़ी
    तो रूकती का नाम
    भी बतला दें भार्इ।

    मालूम चल गया, वर्ड वेरीफिकेशन ही रूकती का नाम है।

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  3. आपकी यात्रा वृत्तांत के हम कायल है .. लगता है सफर यादगार रहेगा.

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  4. नए ब्लाग की बहुत बहुत शुभकामनाऎँ!!
    बाकी नाम का क्या है! "चलती का नाम हवाई जहाज" भी रख लेते तो भी हम लोग तो हाजिरी देने आते ही :)

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  5. Gajab hai meena ji,
    aapko mera hi blog mila itani badi tippni karne ke liye. blog ke shubharambh se hi andolan ki shuruvat ho rahi hai.

    Itane bade bade adhyakshon ke charan pade. ham to apne aap ko dhanaya man rahe hain.

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  6. वाह ब्लॉगजगत को नीरज जाट की तरह एक और मुसाफिर मिल गया :)

    अच्छा किया जो यह ब्लॉग बना दिया अब यात्रा आप करेंगे और उनका वृतांत सुनकर हम घर बैठे ही घूम लिया करेंगे :)

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  7. हर कोई लगा है यहां अपने अपने ठेले चलाने में , चले ललित शर्मा यहां बिना पटरी की रेलगाडी चलाने में । ..... जल्दी जल्दी दौडाइये भाई अपनी ट्रेन की कहानी ।

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  8. अदरणीय ललितजी
    नमस्कार !
    इतना ढूंढा आपको , अब मिले हैं ।
    भाईसाहब ,
    सफ़र तो ठीक है लेकिन मुसाफ़िर को आराम की भी आवश्यकता होती है । इतना बड़ा साम्राज्य तो नेट पर पहले ही से है आपका ।
    सीमाओं का और विस्तार मुबारक हो !
    आशा है, यात्राओं के बीच भी मुलाकात की संभावनाएं रहेंगी ।
    सफ़र से वापसी जल्दी जल्दी किया करें …
    याद रहे , दहलीज़ से बाहर पांव पड़ते ही घर की प्रतीक्षा प्रारंभ हो जाती है ।
    दुआएं हैं यात्रा सुखद रहे …
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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  9. अरे ललित जी, चल पडे आप भी यात्रा वृत्तान्त लिखने में।
    अब आयेगा मजा।

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  10. अरे! इसे तो मैं आज देख पाया!
    बद्गिया प्रयास

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