बुधवार, 1 सितंबर 2010

अधजला आदमी-रेल सेवा और बेवकूफ़ से मुलाकात---यात्रा-10

ट्रेन लगभग 1 बजे आई। हम सब उसमें सवार हुए,रिजर्वेशन पहले से ही था। अपनी-अपनी सीटें संभाल ली। कुछ लोग सोने लगे तो मैं और देवी भैया हंसी मजाक करते हुए सफ़र का आनंद ले रहे थे, ट्रेन में सामान बेचने वालों का रेला लगा था, जो इलेक्ट्रानिक सामान बेच रहे थे। घड़ी, कैमरा, कैलकुलेटर, हवा भरने का पंप, और भी बहुत सारी उपकरण थे उनके पास। हम उनसे मोल भाव करके समय काट रहे थे। देवी भाई ने बहुत मोल भाव करके एक घड़ी 80 रुपए में खरीदी। उसके बाद दूसरा घड़ी बेचने वाला आया मैने उससे मोल भाव करके वही घड़ी 50 रुपए में खरीदी। क्योंकि हमारे किसी के पास घड़ी नहीं थी, इसलिए समय दर्शन के घड़ी लेना जरुरी था। देवी भैया 30 रुपए का नुकसान हमारे देखते देखते ही खा चुके थे।

तभी पुलिस वालों ने ट्रेन में यात्रियों के सामान की तलाशी शुरु कर दी। हमारे पास तो सिर्फ़ गांधी झोले ही थे। जिसमें एक जोड़ी भगवा कपड़ों के अलावा कुछ था ही नहीं। एक मारवाड़ी लड़का मेरे सामने बैठा था। उसे पकड़कर ले गए वो संडास की तरफ़, फ़िर मैने जाकर देखा तो उसका सामान खोल रखा था और उसकी पैंट उतार कर नंगा कर रखा था। वो रोए जा रहा था। कुछ देर बाद उसे छोड़ दिया उन लोगों ने। वह रोते हुए आकर मेरे सामने बैठ गया। मैने पूछा कि क्या हुआ? गांजा अफ़ीम ले जा रहा था क्या? उसने कहा कि मैने अपने पीने के लिए एक जिन का अद्धा रख लिया था। बस उसी के लिए मुझे मारा और 800 रुपए छीन लिए। लेकिन उसने अद्धा बचा लिया। मैने कहा ले बेटे मजे अब, मार अद्धा हजार रुपए का, साले जात भी दी और जगात भी दी। पैसे भी दिए और पैंट भी उतवाई। रोया-गाया अगल से मुफ़्त में। अगर ये अद्धा पहले ही चढा लेता तो सारे ही बच जाते। बेवकूफ़ कहीं का।

अब शाम को जब लैट्रिन जाने की बारी आई तो देखा डिब्बे में पानी ही नहीं था, सबकी हालत खराब थी। हमने टी टी आई से शिकायत की तो उसने कहा कि मैं पिछले स्टेशन में स्टेशन मास्टर को बोगी में पानी नहीं होने की शिकायत मेमो देकर कर चुका हूँ लेकिन अभी तक पानी नहीं भरा गया है। जब तक आप लोग किसी स्टेशन पर चैन नहीं खींचोगे तो पानी नहीं भरा जाएगा। अब आपको चैन खींचनी ही पड़ेगी। हमने न्यु बोंगाई गांव में 3 बार चैन खींची। स्टेशन के कर्मचारियों में हमे दिखाने के लिए बोगी में पानी के पाईप लगा दिए लेकिन उनमें पानी नहीं आ रहा था। आधा घंटा यहां ट्रेन खड़ी रही लेकिन पानी नहीं भरा जा सका। रेल्वे वालों ने कहा कि एल एन जे पी (न्यु जलपाई गुड़ी) में सूचना दे दी है वहां पानी भर दिया जाएगा। हम अब न्यु जलपाई गुड़ी का इंतजार करने लगे।

अब ट्रेन का हाल देखिए लग भग 24 बोगियां थी इस ट्रेन में जिसमें 10 बोगियों में पानी नहीं था। एक बोगी में हम 72 स्लीपर मानते हैं तो 720 व्यक्ति बिना पानी के सफ़र कर रहे थे। लेकिन कोई भी पानी के लिए शिकायत नहीं कर रहा था। सिर्फ़ हमारा 8 लोगों का ही दल पानी के लिए हंगामा मचाए हुए था। जब हम न्यु जलपाई गुड़ी पहुंचे तो वहां भी पानी नहीं भरा गया। रात के 12 बज रहे थे। बरसात भी हो रही थी। जैसे ही गाड़ी चलने लगी हमने हंगामा करने का मन बना लिया था। हमने चैन पुलिंग कर दी। पुलिस वाले आ गए बहुत सारे। हमने कहा कि जब तक गाड़ी में पानी नहीं डाला जाएगा तब तक गाड़ी नहीं चलेगी। चाहे कुछ भी हो जाए। अब हम पूरी तरह से लड़ने का मन बना चुके थे। लेकिन पूरी गाड़ी में से और कोई सवारी उतर कर पानी के लिए समर्थन देने के लिए नहीं आई, हम ही लड़ते रहे पुलिस वालों से।

पुलिस वाले कहने लगे कि गोहाटी से ही पानी भरवा लेना था। गाड़ी तेजपुर से आ रही थी। हमें पानी न होने की जानकारी तो गोहाटी के बाद लगी थी। सब मामला एक दुसरे पर डाल रहे थे। लेकिन पानी नहीं भर रहे थे। उधर पुलिस वाले ट्रेन ड्रायवर को गाड़ी आगे ले जाने को कह रहे थे, लेकिन हम चैन पकड़ कर लटके हुए थे। हम भी अपनी जिद पर अड़ आए थे। लगभग हमने 1 घंटा गाड़ी रोक दी, लेकिन उन्होने भी टंकी में पानी न होने का बहाना बनाए रखा और पानी नहीं भरा। टी टी आई भाग चुका था। तभी युएसए महाराज ने कहा कि यार हमें ही पानी की ज्यादा जरुरत है क्या? इतनी बोगियों में से एक भी उतर कर पानी की मांग करने नहीं आ रहा है और यहां जितनी देर ट्रेन को रोकोगे हम उतनी देर से सुल्तान गंज पहुंचेगें और हमारी यात्रा विलंब से प्रारंभ होगी। छोड़ो जाने दो, चलो सोते हैं। सुबह यात्रा भी प्रारंभ करनी है। अरे ज्यादा होगा तो 10-10 रुपए सुबह और खर्च होगा पानी की एक-एक बोतल और ले लेंगे।उसने बनिया बुद्धि लगाई। हमने भी समझ लिया कि अब कुछ होने वाला नहीं है। हम अपनी बोगी में वापस आ गए और ट्रेन चल पड़ी, पुलिस वालों की सांस में भी सांस आई और हम सो गए।

सुबह तक भी ट्रेन में पानी नहीं भरा गया, ऐसी व्यवस्था हमारे रेल मंत्रालय की है। ट्रेन में भी पानी आपुर्ती ठेकेदारों के भरोसे हो रही है। किसी ट्रेन में  पानी डाल रहे है किसी में नहीं और सवारियां नरक की यात्रा कर रहीं है एडवांस में दो महीना पहले टिकिट का पैसा देकर। सुबह हमने मिनरल वाटर की व्यवस्था की और नित्य क्रिया सम्पन्न की। जब मैं टायलेट में था तभी बाहर बहुत जोर से कोलाहल सुना। टी टी और किसी सवारी के बीच टिकिट को लेकर झगड़ा हो रहा था। टी टी ने कहा कि अगर तुम टिकिट नहीं दिखाओगे तो तुम्हे ट्रेन से बाहर फ़ेंक दुंगा। तभी दूसरी आवाज आई, तुम ट्रेन से बाहर क्या फ़ेंकोगे, मैं अभी तुम्हारा गला काट दुंगा। मैं समझ गया मामला गंभीर हो रहा है। इसलिए जल्दी टायलेट से बाहर निकला। देखा कि एक आदमी जिसका चेहरा आधा जला हुआ और कदकाठी अच्छी थी, टी टी को गरिया रहा था। जैसे ही उसने टी टी से फ़िर दोहराया कि तुम्हारा गला काट दुंगा तो टी टी चुपचाप अगली बोगी में बढ गया। वह आदमी बिना टिकिट ही डटा रहा और गाली बकता रहा।

दादी-----कहानी
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5 टिप्‍पणियां:

  1. रेल व्यवस्था पर अच्छा खुलासा किया है ....बस यही है चलती का नाम गाड़ी

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  2. भईया इस ब्‍लाग के पोस्‍टों को पढ नहीं पाया हूं, शीघ्र ही पढता हूं.

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  3. आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
    बहुत बढ़िया ! उम्दा प्रस्तुती!

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  4. मायावती जी को चिठ्ठी भेजी या नही ?

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  5. nice post lalit, i think u must try this website to increase traffic. have a nice day !!!

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